कविता
Mahesh Chauhan Chiklana
अर्धांगिनी !
तुम हो अर्धांगिनी !
तुम अब आ रही हो !
तुम अब आ रही हो तो वो कौन थी ?
जो पिछले सात सालों से मेरे साथ थी
जो रतजगो का आदी बना गई ,
चैन - सुकून लूट गई ,
मुहल्ले में बदनाम कर गई ,
अपना अपना कहकर
मेरे अपनों से मुझे दूर कर गई
वो कौन थी ?
खैर अगर अर्धांगिनी तुम हो
और मेरे जीवन में आ रही हो
तो इतना जानलो
मेरे पास अब कुछ भी नहीं बचा है
जिसे तुम लूट सको |
अगर फिर भी तुम आना चाहती हो
तो मेरे खाली - कोरे जीवन में ,
तुम्हारा स्वागत है |
कविता
Mahesh Chauhan Chiklana
रूक-रूक के चलती,चलते-चलते रूक रही है ।
आज माथे पर कोई नस दूख रही है ।
जिसको पकड़कर फांद लेता था मैं,
उसके घर की दीवार,
बबूल की वो डाल,
आज भी उसके घर पर झूक रही है ।
आज माथे पर कोई नस दूख रही है ।
अब भी अक्सर चौंक जाता हूँ मैं,
जब देखता हूँ कि -
उसके घर की छत्त पर,
कोई गुलाबी सलवार सुख रही है ।
आज माथे पर कोई नस दूख रही है ।
रूक-रूक के चलती,चलते-चलते रूक रही है ।
आज माथे पर कोई नस दूख रही है ।
कविता
Mahesh Chauhan Chiklana
सुहानी धूप है,आँगन में,आओ बैठे हम
ठंड है बहुत,आँगन में,आओ बैठे हम
कब तक बैठोगी शॉल ओढ़े हुए
कब तक लादोगी स्वेटेर का बोझ
शॉल हटादो , स्वेटेर उतार दो
सुहानी धूप है,आँगन में,आओ बैठे हम
ठंड है बहुत,आँगन में,आओ बैठे हम
कुछ खट्टी ईमलीयां लाया हूँ
कुछ कच्चे बेर भी
सुनाऊ शादी के पहले के कुछ पुराने किस्से
सुहानी धूप है,आँगन में,आओ बैठे हम
ठंड है बहुत,आँगन में,आओ बैठे हम
पहली मुलाकात से शादी तक के
तेरी यादों के वो चन्द खुल्ले सिक्के
आओ तुम्हे गिन-गिन के लोटादुँ
सुहानी धूप है,आँगन में,आओ बैठे हम
ठंड है बहुत,आँगन में,आओ बैठे हम
-- महेश चौहान चिकलाना
ग़नुक
Mahesh Chauhan Chiklana
यार मेरी ही रही होगी कोई नादानी शायद
वरना यूँ तो खत्म ना होती ये कहानी शायद
मुहल्ले का हर एक शख्श़ था दीवाना उसका
मगर हमीं पर थी उसको बिजलियाँ गिरानी शायद
अब और गम उठाने की हिम्मत ना रही
पड़ेगी उसकी निशानियाँ अब मिटानी शायद
वो मनाए ना माने,समझाए समझे ना
अब तन्हा ही गुज़रेगी अपनी जवानी शायद
बेवफा वो ही रही हो एेसा भी नहीं "महेश"
तुम्हें ही ना आई होगी कसमें-रस्में निभानी शायद
- महेश चौहान चिकलाना
ग़नुक
Mahesh Chauhan Chiklana
सुनो,रात पूनम के कभी आसमान भी देखना
टूटता है किस तरह चाँद का गुमान भी,देखना
सीरत क्या है,ये क्या जाने सूरत पे मरने वाले
जो कभी प्यार करना,तो फिर ईमान भी देखना
बडी अनमोल होती हैं ये बेटिया साहब
जो कभी रिश्ता करना ,तो खानदान भी देखना
जब बन ही गई है वो दुल्हन किसी गैर की"महेश"
तो फिर किस लिये उसका अरमान भी देखना
- महेश चौहान चिकलाना
ग़नुक
Mahesh Chauhan Chiklana
नाम हर एक घड़ी उसका बुदबुदाऊँ मैं
फिर भी ना समझे तो केसे समझाऊँ मैं
ये बात सच्ची नहीं फिर भी कितनी अच्छी है
के कम-से-कम ख्याल में तो उसका साथ पाऊँ मैं
वो ना देखे तो ना देखे मर्जी उसकी
पर काश जी भरके कभी तो उसे देख पाऊँ मैं
दिल में बसके मेरे मुझे ही रूलाए वो
ना पाऊँ साथ तो काश के उसे भूल जाऊँ मैं
खुदा के किसी भी दर से मांगे से मिल जाए अगर
तो हर एक दर पे जाके सिर अपना झुकाऊँ मैं
- महेश चौहान चिकलाना
ग़नुक
Mahesh Chauhan Chiklana
बेवफा मैं कहलाया उसकी बेवफाई से
प्यार तो मगर फिर भी रहा उसी हरजाई से
शर्मो हया जब छोड़ी उसने तो फिर यूँ हुआ
हुआ हूँ मैं भी रुसवा उसीकी रुसवाई से
दिन कटते नहीं और रातें लंबी लगती हैं
न जाने अब कब जी छुटेगा इस तन्हाई से
काश के अब दुबारा न कभी उससे मिलना हो
मैं भी डरने लगा हूँ अब अपनी बुराई से
- महेश चौहान चिकलाना
कबि।थापा मगर
Kabi Thapa Magar Magar
तिम्रो याददे मलाई धेरै सताई रहन्छ किन।
जब तिम्रो साथ छोडदा मेरो मुटु धडकी रहन्छ किना।
कुंडलियां छंद
Mahesh Chauhan Chiklana
आती जाती छत्त पर , इतराती फिरे है |
रखती है लब पर मुझे , वो गाती फिरे है |
वो गाती है रोज , गज़लों की तरह मुझे |
वो प्यार करे रोज , पागलों की तरह मुझे |
रखें न वो कुछ ख्याल , आँखें मिलाए जाती |
करे है ताक - झाँक , गली में आती जाती |
- महेश चौहान चिकलाना
माया म
Symaisa Lama
तिम्रो याद नआउने नि होईन ,
अतित का दिनमा भन्दा पनि धेरै आउछ,
फरक यत्तिमात्र हो पहिलेको यादले मुहार भरि मुस्कान दिलाउथ्यो, भने अहिले को यादले अँखा भरी आँसु दिलाउछ।।
गजल ___प्रेममा_धोका_पाकाहरू_कहिल्य_पनि_अभागी_हुदैनन_ति_त_भाभ्यमाना_हुछन__जस्ले_स्चो_माया_चिन्नका_निम्ति_दोसो__अवसर_पाएक_हुन्छन
Jaya Rongs Jaya
गजल
sudhan bhusal
Sudhan Bhusal
्रेम र जिन्दगी रहेछ होला । जिवनसाथी नभएपनि एउटा असल साथी त बन्न पाए, त्यसैमा पनि धेरै खुसी छु । जसलाई जति चाह्यो एकदिन त्यो त्यती नै टाढा हुदो रहेछ । तर पनि तिमी जहाँ जस्तोसुकै भएपनि हाँसी, खुसी रहनु ति अनमोल पलहरू यो मुटूमा सधै नै गाढा बनेर रहनेछन ।
***निर्दोष मन **
Stany Babu Prashant
निर्दोष छ योमन बूझ्ने प्रयास गरे तिम्ले !
अरूले जेभनेपनी मलाई विश्वास गरे तिम्ले!!
किन माँन्छौ सँक्का हेर कसैले केहि भन्यो भने!
म पनि त मरि दिउला मेरै निम्ति मर्यौ भने !!
प्रशान्त भाट "मधु"
क .न.पा.मूलि 1 अछाम
माया
Pradeep Subedi
पूरा न हुने सपना न देखाउ सानू म त तिम्रै याद मा हरपल मर्ने गर्छु!!
कहिलै पूरा हुदैन जस्तो लाग्छ भबिस्यको कुरा जस्ले सपनिमा पनि तर्सने गर्छु !!
माया गर्छु तिमिलाइ भनेर हरपल हर छेड भन्ने गर्छु!!
तिमिरै बोली सुन्नाको लागि सधै तडपिरहन्छु!!
#कालु!!