Mahesh Chauhan Chiklana

ग़नुक


सुनो,रात पूनम के कभी आसमान भी देखना
टूटता है किस तरह चाँद का गुमान भी,देखना

सीरत क्या है,ये क्या जाने सूरत पे मरने वाले
जो कभी प्यार करना,तो फिर ईमान भी देखना

बडी अनमोल होती हैं ये बेटिया साहब
जो कभी रिश्ता करना ,तो खानदान भी देखना

जब बन ही गई है वो दुल्हन किसी गैर की"महेश"
तो फिर किस लिये उसका अरमान भी देखना

- महेश चौहान चिकलाना

#माया / प्रेम