Mahesh Chauhan Chiklana

ग़नुक


नाम हर एक घड़ी उसका बुदबुदाऊँ मैं
फिर भी ना समझे तो केसे समझाऊँ मैं

ये बात सच्ची नहीं फिर भी कितनी अच्छी है
के कम-से-कम ख्याल में तो उसका साथ पाऊँ मैं

वो ना देखे तो ना देखे मर्जी उसकी
पर काश जी भरके कभी तो उसे देख पाऊँ मैं

दिल में बसके मेरे मुझे ही रूलाए वो
ना पाऊँ साथ तो काश के उसे भूल जाऊँ मैं

खुदा के किसी भी दर से मांगे से मिल जाए अगर
तो हर एक दर पे जाके सिर अपना झुकाऊँ मैं

- महेश चौहान चिकलाना

#माया / प्रेम