Mahesh Chauhan Chiklana
ग़नुक
बेवफा मैं कहलाया उसकी बेवफाई से
प्यार तो मगर फिर भी रहा उसी हरजाई से
शर्मो हया जब छोड़ी उसने तो फिर यूँ हुआ
हुआ हूँ मैं भी रुसवा उसीकी रुसवाई से
दिन कटते नहीं और रातें लंबी लगती हैं
न जाने अब कब जी छुटेगा इस तन्हाई से
काश के अब दुबारा न कभी उससे मिलना हो
मैं भी डरने लगा हूँ अब अपनी बुराई से
- महेश चौहान चिकलाना