Mahesh Chauhan Chiklana
कुंडलियां छंद
आती जाती छत्त पर , इतराती फिरे है |
रखती है लब पर मुझे , वो गाती फिरे है |
वो गाती है रोज , गज़लों की तरह मुझे |
वो प्यार करे रोज , पागलों की तरह मुझे |
रखें न वो कुछ ख्याल , आँखें मिलाए जाती |
करे है ताक - झाँक , गली में आती जाती |
- महेश चौहान चिकलाना