रघुनन्दन
Pankaj Kumar Yadav
आज एक सुन्दर कविता पढ़ने को मिली, आप भी इसका आनन्द लें !
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चाँद को भगवान् राम से यह शिकायत है की दीपवली का त्यौहार अमावस की रात में मनाया जाता है और क्योंकि अमावस की रात में चाँद निकलता ही नहीं है इसलिए वह कभी भी दीपावली मना नहीं सकता। यह एक मधुर कविता है कि चाँद किस प्रकार खुद को राम के हर कार्य से जोड़ लेता है और फिर राम से शिकायत करता है और राम भी उस की बात से सहमत हो कर उसे वरदान दे बैठते हैं आइये देखते हैं ।
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जब चाँद का धीरज छूट गया ।
वह रघुनन्दन से रूठ गया ।
बोला रात को आलोकित हम ही ने करा है ।
स्वयं शिव ने हमें अपने सिर पे धरा है ।
तुमने भी तो उपयोग किया हमारा है ।
हमारी ही चांदनी में सिया को निहारा है ।
सीता के रूप को हम ही ने सँभारा है ।
चाँद के तुल्य उनका मुखड़ा निखारा है ।
जिस वक़्त याद में सीता की ,
तुम चुपके - चुपके रोते थे ।
उस वक़्त तुम्हारे संग में बस ,
हम ही जागते होते थे ।
संजीवनी लाऊंगा ,
लखन को बचाऊंगा ,.
हनुमान ने तुम्हे कर तो दिया आश्वश्त
मगर अपनी चांदनी बिखरा कर,
मार्ग मैंने ही किया था प्रशस्त ।
तुमने हनुमान को गले से लगाया ।
मगर हमारा कहीं नाम भी न आया ।
रावण की मृत्यु से मैं भी प्रसन्न था ।
तुम्हारी विजय से प्रफुल्लित मन था ।
मैंने भी आकाश से था पृथ्वी पर झाँका ।
गगन के सितारों को करीने से टांका ।
सभी ने तुम्हारा विजयोत्सव मनाया।
सारे नगर को दुल्हन सा सजाया ।
इस अवसर पर तुमने सभी को बुलाया ।
बताओ मुझे फिर क्यों तुमने भुलाया ।
क्यों तुमने अपना विजयोत्सव
अमावस्या की रात को मनाया ?
अगर तुम अपना उत्सव किसी और दिन मानते ।
आधे अधूरे ही सही हम भी शामिल हो जाते ।
मुझे सताते हैं , चिड़ाते हैं लोग ।
आज भी दिवाली अमावस में ही मनाते हैं लोग ।
तो राम ने कहा, क्यों व्यर्थ में घबराता है ?
जो कुछ खोता है वही तो पाता है ।
जा तुझे अब लोग न सतायेंगे ।
आज से सब तेरा मान ही बढाएंगे ।
जो मुझे राम कहते थे वही ,
आज से रामचंद्र कह कर बुलायेंगे
.. Happy durgapuja and dashahra
कुता
Pankaj Kumar Yadav
कोर्ट में एक अजीब मुकदमा आया
एक सिपाही एक कुत्ते को बांध कर लाया
सिपाही ने जब कटघरे में आकर कुत्ता खोला
कुत्ता रहा चुपचाप, मुँह से कुछ ना बोला
…
नुकीले दांतों में कुछ खून-सा नज़र आ रहा था
चुपचाप था कुत्ता, किसी से ना नजर मिला रहा था
फिर हुआ खड़ा एक वकील
देने लगा दलील
बोला, इस जालिम के कर्मों से यहाँ मची तबाही है
इसके कामों को देख कर इन्सानियत घबराई है
ये क्रूर है, निर्दयी है, इसने तबाही मचाई है
दो दिन पहले जन्मी एक कन्या, अपने दाँतों से खाई है
अब ना देखो किसी की बाट
आदेश करके उतारो इसे मौत के घाट
जज की आँख हो गयी लाल
तूने क्यूँ खाई कन्या, जल्दी बोल डाल
तुझे बोलने का मौका नहीं देना चाहता
लेकिन मजबूरी है, अब तक तो तू फांसी पर लटका पाता
जज साहब, इसे जिन्दा मत रहने दो
कुत्ते का वकील बोला, लेकिन इसे कुछ कहने तो दो
फिर कुत्ते ने मुंह खोला
और धीरे से बोला
हाँ, मैंने वो लड़की खायी है
अपनी कुत्तानियत निभाई है
कुत्ते का धर्म है ना दया दिखाना
माँस चाहे किसी का हो, देखते ही खा जाना
पर मैं दया-धर्म से दूर नही
खाई तो है, पर मेरा कसूर नही
मुझे याद है, जब वो लड़की छोरी कूड़े के ढेर में पाई थी
और कोई नही, उसकी माँ ही उसे फेंकने आई थी
जब मैं उस कन्या के गया पास
उसकी आँखों में देखा भोला विश्वास
जब वो मेरी जीभ देख कर मुस्काई थी
कुत्ता हूँ, पर उसने मेरे अन्दर इन्सानियत जगाई थी
मैंने सूंघ कर उसके कपड़े, वो घर खोजा था
जहाँ माँ उसकी थी, और बापू भी सोया था
मैंने कू-कू करके उसकी माँ जगाई
पूछा तू क्यों उस कन्या को फेंक कर आई
चल मेरे साथ, उसे लेकर आ
भूखी है वो, उसे अपना दूध पिला
माँ सुनते ही रोने लगी
अपने दुख सुनाने लगी
बोली, कैसे लाऊँ अपने कलेजे के टुकड़े को
तू सुन, तुझे बताती हूँ अपने दिल के दुखड़े को
मेरे पास पहले ही चार छोरी हैं
दो को बुखार है, दो चटाई पर सो रही हैं
मेरी सासू मारती है तानों की मार
मुझे ही पीटता है, मेरा भरतार
बोला, फिर से तू लड़की ले आई
कैसे जायेंगी ये सारी ब्याही
वंश की तो तूने काट दी बेल
जा खत्म कर दे इसका खेल
माँ हूँ, लेकिन थी मेरी लाचारी
इसलिए फेंक आई, अपनी बिटिया प्यारी
कुत्ते का गला भर गया
लेकिन बयान वो पूरे बोल गया
बोला, मैं फिर उल्टा आ गया
दिमाग पर मेरे धुआं सा छा गया
वो लड़की अपना, अंगूठा चूस रही थी
मुझे देखते ही हंसी, जैसे मेरी बाट में जग रही थी
कलेजे पर मैंने भी रख लिया था पत्थर
फिर भी काँप रहा था मैं थर-थर
मैं बोला, अरी बावली, जीकर क्या करेगी
यहाँ दूध नही, हर जगह तेरे लिए जहर है, पीकर क्या करेगी
हम कुत्तों को तो, करते हो बदनाम
परन्तु हमसे भी घिनौने, करते हो काम
जिन्दी लड़की को पेट में मरवाते हो
और खुद को इंसान कहलवाते हो
मेरे मन में, डर कर गयी उसकी मुस्कान
लेकिन मैंने इतना तो लिया था जान
जो समाज इससे नफरत करता है
कन्याहत्या जैसा घिनौना अपराध करता है
वहां से तो इसका जाना अच्छा
इसका तो मर जान अच्छा
तुम लटकाओ मुझे फांसी, चाहे मारो जूत्ते
लेकिन खोज के लाओ, पहले वो इन्सानी कुत्ते
लेकिन खोज के लाओ, पहले इन्सानी कुत्ते
गरिब
Laxman Shahi
भोको पेट सँग लड्दै छु
पहाडको छोरा हु म
उकाली अोराली झर्दै छु
गरिबको छोरा हु म
भोको पेटमा अाज सर्दै छु
कर्मको खेल
AR-Jun RaWal
ज़िन्दगी बगेको पानी जस्तै हो
आउदैन फर्केर फेरीफिर यो
माया त दुई दिनको घाम-छायाँ हो
कर्मले डोराए कता लाले हो
मनको भावना
AR-Jun RaWal
मैले लेख्न मिल्ले भए
तिम्रो सुन्दर भाग्ये लेख्थे
पल पल सधै भरी
हर पल सधै भरी मात्र तिम्रो खुशी देख्थे
kali
Bishnu Ghimire
सुर्यलाई भन रोसनी दिन छोडिदिनु
तारालाई भन चम्किन छोडिदिनु
यदि आउन सक्दिनौ भने मेरो जिन्दगीमा
याद बनेर पनि सताउन छोडिदिनु
बेटी
Pankaj Kumar Yadav
बोये जाते हैं बेटे.. पर उग जाती हैं बेटियाँ,
खाद पानी बेटों को.. पर लहराती हैं बेटियां,
स्कूल जाते हैं बेटे.. पर पढ़ जाती हैं बेटियां,
मेहनत करते हैं बेटे.. पर अव्वल आती हैं बेटियां,
रुलाते हैं जब खूब बेटे.. तब हंसाती हैं बेटियां,
नाम करें न करें बेटे.. पर नाम कमाती हैं बेटियां,
जब दर्द देते बेटे.. तब मरहम लगाती बेटियां,
छोड़ जाते हैं जब बेटे.. तो काम आती हैं बेटियां,
आशा रहती है बेटों से.. पर पुर्ण करती हैं बेटियां,
हजारों फरमाइश से भरे हैं बेटे.. पर समय की नज़ाकत को समझती बेटियां,
बेटी को चांद जैसा मत बनाओ कि हर कोई घूर घूर कर देखे…
किंतु.. बेटी को सूरज जैसा बनाओ ताकि घूरने से पहले सब की नजर झुक जाये.
हमर किरण
Pankaj Kumar Yadav
®रचना
दिल भरी अहाँक प्रेम बोईक हम रखने छी।
अहाँंके पाबके आसमे कतेक राईत हम कटने छी।।
खैने छी यही सँग जिअ मर के कसम।
जल्दीसँ पूरा कैरदिअ हमर मन।।
सुख दु:ख बाटब सँगे मिलके।
ते त आईब रहल छी हम अपने गाउँ घर अब।।
बिदेशके सुखसँ अपने देशके दु:ख प्यारा।
एकेले भक रहलासँ लगैत अछी बहुत न्यारा।।
प्रेम करैछी सदिखन अहिसँ अहि हमर जीवन छी।
साथ देब सदिखन अहाँ यही हमर किरण छी।।
@पँकज यादब
गोठ कैलपुर(धनुषा)
हाल:-दोहा कतार
बाढिक पिडा
Pankaj Kumar Yadav
सभटा दहा गेल जननी बाँचल टा नोर छै ।
मायक छाती कोना भेल आइ कठोर छै ।।
बेटाकेँ डुबैत देखि अहाँ आँखि मुनि लेलियै ।
कलपैत सिसकैत रहलहुँ किए नै सुनलियै ।।
कमला आ कोसीक पानि आब लागै इन्होर छै ।
बाढिक नैहर मिथिला भवानीयोकेँ नैहर अछि ।
बेर बेर उजरै छी बसि जाइ सुत हेहर अछि ।।
विपत्तिमे टुटतै नहि निस्सन ममताक डोर छै ।
मैथिलकेँ आस अहाँ आबि क' बोलो भरोस दी।
करनी छै अपने मा यै मुदा भागक दोष दी ।।
उच्चैठो नहि बाँचल देखू उठल केहन हिलोर छै ।
~> मैथिल प्रशान्त
दुर्गौली, बेनीपट्टी ।
हमर चाँदनी
Pankaj Kumar Yadav
एक दिन साम के बखत रहै,
सुरज के आराम के बखत रहै।
जखन मिल गेलै साथ ओकर,
धलेलियै हाथमे हाथ ओकर।
लगेलौं ओकरा अन्हरिया मे,
अपना चाँदक ईजोरिया मे।
अपने सँग बिठाब लगली ,
दिलके बात सुनाब लगली।
नयन कहै छला आराम करैके,
मन कहै छला विश्राम करैके।
कोना पसारू अहाँलग मोनक बात,
चाँन्दनी कहैछला,राईतक हिसाब दिअके!
#पँकज_यादब
गोठ कैल्पुर_ धनुषा
हाल:- दोहा कतार
हमर जान
Pankaj Kumar Yadav
#दिल भरी अहाँक प्रेम बोईक हम रखने छी।
अहाँंके पाबके आसमे कतेक राईत हम कटने छी।।
खैने छी यही सँग जिअ मर के कसम।
जल्दीसँ पूरा कैरदिअ हमर मन।।
सुख दु:ख बाटब सँगे मिलके।
ते त आईब रहल छी हम अपने गाउँ घर अब।।
बिदेशके सुखसँ अपने देशके दु:ख प्यारा।
एकेले भक रहलासँ लगैत अछी बहुत न्यारा।।
प्रेम करैछी सदिखन अहिसँ अहि हमर जीवन छी।
साथ देब सदिखन अहाँ यही हमर किरण छी।।
@पँकज यादब
गोठ कैलपुर(धनुषा)
हाल:-दोहा कतार
कठोर पृयत्मा
Pankaj Kumar Yadav
फोटो फेकली थालमे हमर सडि गेल हेतै
आई,
नाम निशान तs मेटिए गेल हेतै फेर किए
पशचाईछी आई?
बिमार केलौ हमर मोन के हम होकरैछी
दोहा-कतारमे,
जरैत होत दिल अहुके धुँवा निकलैत होत
कपारमे।
कि भेटल अहाँके सजनी हमरा कना-कना
कs,
छुटल घाँउके बिस्तार किए करैछी ससुरामे
जा कs?
सेएह मोन रहे तहन साथ किए छोडली हमर?
बर्षो सँ जुडल नाता भरमे किए तोडली हमर?
जे पहिने भेलै सजनी से सब यहाँ बिसैर जाँउ,
अपना सजना सँग खुब प्रेम करु ओकरे दिलमे
बसि जाउँ।
#पँकज_ कुमार_यादब
गोठ कोयलपुर(धनुषा)
हाल:-दोहा कतार
गरिब
Xetrry Ko Xora Moh
एउटा गरिबको छोरो म त छैन हेर धन
धरौटीमा राखेको थे निच्छ्ल एउटा मन
धनी बाउको छोरी तिमी सकिएन किन्न
बल्झिएको घाउलाइ किन कोट्याउछ्यौ झन
नवीन जि सी
हाल नेपालगन्ज बाके नेपाल
दशै तिहार
Resham Thapa
दु:ख माथि दु:ख को भार आएपछि
समय यसरि टुपुक्क फर्केर आएपछि
गरिब बा आमा चिन्तित बनेका छन
फर्केर फेरि घरमा दशैं तिहार आएपछि
सहायात्रि
Resham Thapa
अछाम बलाता
एक्लो जिबन
AR-Jun RaWal
आशु______धेरै____भएको
आँखा______________पाएछु, एकै_____छिनमा____छुटिईने
कसम_____खाए_______छु,
रितो _______मन_______सँग
मैले________माया____लाएछु,
नपाउने___________मायालाई
बेर्थै____________चाहेछु,
आज_____एकान्तमा____बसी
टोलाई_________रहेछु,
दशैंको शुभकामना
AR-Jun RaWal
२०७४सालको__बडा___दशैंको हार्दिक__मंगलयम____शुभकामना
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बर्ष__दिनमा__दशैं__आउन्छ
दशा___कसैको___नबनोस्
टीका______खस्छ__निधारबाट
भाग्ये____कहिले___नखसोस्
जमरा____लाइन्छ___सुकेर___जान्छ
खुशी___कहिले_____नसुकोस
पिङ____खेलिन्छ___चुडिन्छ___डोरी
सम्बन्ध___कहिले__नचुरोस
All_____My_____Sweet & Lovely
साथीहरु____अनि___आफन्तहरु
मुक्तक (कसरी )
Xetrry Ko Xora Moh
मेरो दिलमा उस्को नाम लेखाउ कसरी
यो मुटु भित्रको माया देखाउ कसरी
राम्रो भन्दा नि नराम्रो चाहाने कमि छैन
उ बिना एक्लो जीवन बिताउ कसरी
@ नबिन ।।। हाल नेपालगन्ज बाके नेपाल
थाहा नै भएन
Xetrry Ko Xora Moh
कहिले उ सङ्ग मेरो मन मुटु साटेको थाहा नै भएन
आफ्नै बनेर टुक्राटुक्रा पारि काटेको थाहा नै भएन
मैले त उसलाई आफुभन्दा नि धेरै बिश्वास गरे थे
मेरै मनको आगन बनाइ नाचेको थाहा नै भएन
कहिले देखि सिके छु खै मैले एक्लै बाच्न
आज आधा जिन्दगी काटेको थाहा नै भएन
म त सधै अरुलाइ टालेर हिन्थे धर्मको लागि
अहिले आफ्नै अस्तित्व फाटेको थाहा नै भएन
मान्छे अनुहार हेरेर चिनिन्छ रे जिन्दगीमा तर
उसले मलाई बार बार ढाटेको नि थाहा नै भएन ।।
@ नबिन!! हाल नेपाल्गन्ज बाके नेपाल
मुटु माथी हुने छ
Santu Neupane
एक दिन घरमा मलामिको ताती हुने छ
हेर्नू त्यसैदिन मसान घाट्मा राती हुनेछ
चित्त माथिको मेरो लास न जल्दा सानू
पल्टाइ हेर्दा तिम्रो तस्बिर मुटु माथी हुनेछ
पल्टाइ हेर्दा तिम्रो तस्बिर मुटु माथी हुनेछ
#सन्तु_न्यौपाने
नवलपरासी बासाबसहि हाल न्यु दिल्हि