Pankaj Kumar Yadav
बाढिक पिडा
सभटा दहा गेल जननी बाँचल टा नोर छै ।
मायक छाती कोना भेल आइ कठोर छै ।।
बेटाकेँ डुबैत देखि अहाँ आँखि मुनि लेलियै ।
कलपैत सिसकैत रहलहुँ किए नै सुनलियै ।।
कमला आ कोसीक पानि आब लागै इन्होर छै ।
बाढिक नैहर मिथिला भवानीयोकेँ नैहर अछि ।
बेर बेर उजरै छी बसि जाइ सुत हेहर अछि ।।
विपत्तिमे टुटतै नहि निस्सन ममताक डोर छै ।
मैथिलकेँ आस अहाँ आबि क' बोलो भरोस दी।
करनी छै अपने मा यै मुदा भागक दोष दी ।।
उच्चैठो नहि बाँचल देखू उठल केहन हिलोर छै ।
~> मैथिल प्रशान्त
दुर्गौली, बेनीपट्टी ।