Pankaj Kumar Yadav
हमर चाँदनी
एक दिन साम के बखत रहै,
सुरज के आराम के बखत रहै।
जखन मिल गेलै साथ ओकर,
धलेलियै हाथमे हाथ ओकर।
लगेलौं ओकरा अन्हरिया मे,
अपना चाँदक ईजोरिया मे।
अपने सँग बिठाब लगली ,
दिलके बात सुनाब लगली।
नयन कहै छला आराम करैके,
मन कहै छला विश्राम करैके।
कोना पसारू अहाँलग मोनक बात,
चाँन्दनी कहैछला,राईतक हिसाब दिअके!
#पँकज_यादब
गोठ कैल्पुर_ धनुषा
हाल:- दोहा कतार