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Gajal |
एक गीत मुझे |
बिछोड |
एक गीत मुझे लिख लेने दो यह बात मेरी तन्हाई की
तुम क्या जानो तुम क्या समझो बात मेरे हरजाई की
अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की
तुम क्या जानो तुम क्या समझो बात मेरी तन्हाई की
बो शाही घोल रहा था वक्त के बहते दरिया में
मैंने आंख झुकी देखी है आज उसी हरजाई की
वो रात ना जाने क्यों डूब गई वक्त से पहले तन्हाई में
उड़ते उड़ते आस का पंछी उफक उफक मैं डूब गया
देख आज रोते-रोते बैठ गई आवाज उसी हरजाई की
राजेश कुमार यादव |
स्वप्न में |
माया / प्रेम |
स्वप्न में वक्त ने वो दिखा डाला
स्वप्न की यात्रा ने कितना थका डाला
उसने अंग प्रत्यग को हिला डाला
स्वप्न में फिर से एक तीली ने दिया जला डाला
मिले ख्वाब में तो दीवाना बना डाला
स्वप्न में हकीकत करके दिखा डाला
स्वप्न में आंख डबडबा गई
उसने इतना हंसा डाला
राजेश कुमार यादव |
भ्रम आंखों में पाले |
अन्य |
मैं मिट्टी गूंद कर ये सोचता हूं
कि मुझमें फन आ गया जादूगरी का
मैं एक ही सतह पर ठहरूंगा कैसे उतरता चढ़ता पानी हूं नदी का
समंदर खाली हो गया जिसकी आंखों का
वह कैसे ख्वाब देखे किसी जलपरी का
निकालो कील को दीवार में से
वरना टांग लो फोटो किसी जलपरी का
ग़मों से भरी जिंदगी जी रहे है
भ्रम आंखों में पाले खुशी का
राजेश कुमार यादव |
हौसला |
अन्य |
बढ़ाते रहोगे गर हौसला तुम मेरा
पतवार हम भी संभाले रहेंगे
अंधकार को उजाले से रुकने नहीं देंगे
कुछ लोग तुम्हें यूं ही रूलाएंगे
मगर हम तुम्हें रोने नहीं देंगे
तुम्हारे आंसुओं को सोख लेगी शाही मेरी
यूं आंसुओं के मोती बहने नहीं देंगे
पल भर मानो जो नींद ले लो तुम
मेरे ख्वाब तुम्हें सोने नहीं देंगे
वक्त है समर्पण का
वो सपने तुम्हें यूं ही सोने नहीं देंगे
राजेश कुमार यादव |
न जाने पास कौन था |
अन्य |
न जाने पास कौन था
दूर तक मैं भी गया रोता हुआ था
यही गुमा हुआ कई बार था
रास्ता ये देखा हुआ था
कभी और कश्ती निकालेंगे हम
अभी अपना दरिया ठहरा हुआ था
जहां जाएं सर पर यही आसमां था
न जाने कहाँ तक फैला हुआ था
अंधेरा तेरी यादों की परछाई का था
दिन ढलते ही तमाशा हुआ था
न देखो तुम इतने नाज़ से आईना
आंखों का आईना भी शरमाया हुआ था
राजेश कुमार यादव |
वक्त मुझ से परे हैं |
माया / प्रेम |
किस्मत फिर से टकराने लगी
सच के दर से
रास्ते खाली हो गये
वक्त मुझ से परे हैं
मैं अपने आप को खोजनेे लगा
जिंदगी वही सवाल फिर से दोहराने लगी
कुछ शब्द लिखे हैं समझने की कोशिश में
जिसे संजोकर रखा है तुमने
वो तस्वीर हमारी हैं
सच को तो मैंने लिख डाला कागज़ के इन टुकडो़े पर
अब तुम क्या सोच रही हो हाथ लिए नाम कढे रुमालों पर
धरे हथेली गालों पर
राजेश कुमार यादव |
प्रेम |
माया / प्रेम |
चादं ने सूरज से पूछा
रोज-रोज का ये चक्कर क्यू
रोज जाते रोज आते
तब कहा सूरज ने
ये धरती लुभाती है मुझे
रोज लौट कर आते
बस यही बात सताती है मुझे
राजेश कुमार यादव |
इति इंगित करना ठीक नहीं है |
उदास |
इति इंगित करना ठीक नहीं
छुप-छुपकर यूं रोज इशारे करना ठीक नहीं
दीप जलाना दीप बुझाना ठीक नहीं
रोज हथेली पे लिख लिखकर नाम मिटाना ठीक नहीं
मौन भाषा हृदय कि क्या उन्हें समझाएं
जो समझे नयंन का इशारा नहीं
खुद समझाना ठीक नहीं
जब हम पढ़ते थे याद आता था तेरा फूल सा चेहरा
अब और बताना ठीक नहीं
नजरों में आवारा हूं यूं गलियों में आना जाना ठीक नहीं
तेरे मासूम चेहरे की मासूमियत में
ना जाने कितने भटक गये
अब और बताना ठीक नहीं
मैं बैठा हूं मयखाने में अब दर्द बताना ठीक नहीं
राजेश कुमार यादव |
म यस शहरसँग परिचित छु, जसलाई मैले हल्लाए |
माया / प्रेम |
म यस शहरसँग परिचित छु, जसलाई मैले हल्लाए
यो चीज छातीमा आगो लगाईयो
म कसरी शहरमा छु
उस्तै उचाल्ने व्यक्ति टाढा गए
राम्रो तपाईं जो हाम्रो साथ क्रोधित हुनुहुन्छ
हामी पनि मलाई कसम भन्नुहुन्न
सबै भावनाहरु पागल मानिन्छ
यो समय म हिड्न सक्षम छु र म आएको छु
पुस्तकहरू लेख्दछन् मैले फूलहरू थिच्नुहोस्
नाम थप्दा मैले मेरो नाम मलाई थाहा छ
यो सोचेको थियो कि म तिम्रो हृदयको सन्देशलाई तपाईंसंग सन्देश दिन सक्दिन
जब तपाईंको हृदयलाई आराम गर्न आउँथ्यो
वाह
आज त्यहाँ एक शत्रु छ
यो मजा आयो
राजेश कुमार यादव
11/09/2018 |
हामी घृणित आगो हाल्दैनौँ |
उदास |
हामी घृणित आगो हाल्दैनौँ
प्रेममा, हामी कसैलाई अपमान गर्दैनौं।
केही मानिसहरू चोट लागेको घाउ, तपाईं किन व्याख्या गर्नुहुन्न
तपाईं हाम्रो प्रेम किन बिर्सनु हुनुहुन्न?
दुखाइ नयाँ हो, पुरानो छ, तपाई किन व्याख्या गर्नुहुन्न
हामी दुश्मन छोड्न दुश्मन छोड्न सक्दैनौँ।
तपाईं मेरो नाममा मेरो नाम लेख्नुभएन
राजेश कुमार यादव
07/01/2002 |
यस अवधिको संसार अहिले कसरी छ |
उदास |
यस अवधिको संसार अहिले कसरी छ
एक अखबार कसरी भिजेको रगतबाट भरिएको छ
उहाँले दिनु पर्ने प्रतिज्ञा गर्नुभयो
उहाँले मलाई कसरी छोड्नुभयो?
जब हामीले तिनीहरूलाई आवश्यक छौँ हामीले तिनीहरूलाई निलम्बन गरेका छौ
तिमीलाई प्रेममा कति मन पर्छ
प्रतिज्ञा सधैं बिर्सन्छ
मलाई बताओ तिमीलाई कसरी प्रेम गर्दछु
हामी अझ राम्रो छौं भन्नेछौं
तिम्रो गायक कस्तो छ?
राजेश कुमार यादव
13/06/2006 |
हामी घृणित आगो हाल्दैनौँ |
माया / प्रेम |
हामी घृणित आगो हाल्दैनौँ
प्रेममा, हामी कसैलाई अपमान गर्दैनौं।
केही मानिसहरू चोट लागेको घाउ, तपाईं किन व्याख्या गर्नुहुन्न
तपाईं हाम्रो प्रेम किन बिर्सनु हुनुहुन्न?
दुखाइ नयाँ हो, पुरानो छ, तपाई किन व्याख्या गर्नुहुन्न
हामी दुश्मन छोड्न दुश्मन छोड्न सक्दैनौँ।
तपाईं मेरो नाममा मेरो नाम लेख्नुभएन
राजेश कुमार यादव
07/01/2002 |
मैं फ़िदा हूं |
अन्य |
अब है अंधेरा ही अंधेरा कौन कहेगा
देखो ये क्या यह किसकी रोशनी
कौन कहेगा
चर्चाएं है जिस अदा की उसे
सादगी ताजगी कौन कहेगा
मैं फिदा हूं जिस अदा पर उसे
शांति की खुशबू कौन कहेगा
अब तारीफ करे जमाना
दुश्मन भी हो फिदा
आपसे ऐसी दोस्ती हो
दोस्ती की भी बंन्दगी हो कौन करेगा
दोस्ती के पीछे जमाना हो
दोस्ती से पुरानी दुश्मनी हो
आदमी फिर बने आदमी
प्रेम का देवता हो कौन बनेगा
राजेश कुमार यादव
१९/२/२०१६ |
वो कहें और हम अपना सर्वस्व |
माया / प्रेम |
वो कहें और हम अपना सर्वस्व लुटा दे
हम कहें और वो मुस्कुरा दें
जीवन के हर मोड़ पर जिंदगी को सजा दें
चाहत में उनकी खुद को भुला दें
ग़म कभी छू ना पाए वफाओं के हम ऐसे निशां बना दें
चेहरे से जो वो पर्दा हटा दें
जमाना कहता है हमसे
दीवाने हो क़यामत के
हम दीवाने हैं उनके
वो कोई तो कयामत ढा दे
उनके लिए हम अपनी जिंदगानी लुटा दे
सजा दे ,सिला दे ,मिटा दे ,
कोई फैसला तो सुना दे
राजेश कुमार यादव
२३/०१/२००२ |
दूरियां |
अन्य |
जो दिल में रह रहे हैं लोग
कितनी दूर जाकर बस गए हैं लोग
जोड़ना जो चाहते थे दिल दिल से
कितने जख्म दे गए हैं लोग
हमेशा तलाश किया जिनको
कितनी दूर जाकर बस गए हैं लोग
खुद मैं भी खबर नहीं
किन किन दिशाओं में रह रहे हैं लोग
उतरती है अप्सराएं स्वर्ग से दिन-रात देखतेे हैं लोग
कपकपाती है कड़क सर्दी में कड़की से
बिना मन के देह पर देह थोपते हैं लोग
ये कैसी बस्ती कैसा राज
कैसा है आलम आज
घुट घुट के जिन्दा जी रहे हैं लोग
राजेश कुमार यादव
५/८/२०१८ |
मेरी तन्हाई चीख चीखकर |
बिछोड |
रात को मेरी तन्हाई चीख चीखकर चिल्लाती है!
दूर तेरे घर के सामने एक रोशनाई सी नजर आती है!
कई रातों तक तेरी परछाई तक नजर नहीं आती हैं!
बेवफा तू है जो हमको याद दिलाती है!
मेरी वफ़ा बेवफा तुझको तो मेरी याद तक न आती है!
राजेश कुमार यादव |
आँखा देखे दृश्य |
अन्य |
ठिकै रोटी भएको छतको सिजन!
सबै जवानहरू बसोबास गर्दै, युवाहरूलाई हेर्दै!
थोडा थोपा थोपा थोपा
चकलेटमा झटका र चिसो गरौं!
हफ! |
मेरो आँसु पिउँदै |
अन्य |
राती मेरो चिल्ला चिच्याउँछ!
तपाईंको घरको सामने एउटा लाइट छ!
तपाईं आफ्नो छाया को धेरै रात सम्म नहीं देख सकते!
तपाईं ईमानदार हुनुहुन्छ, जसले हामीलाई सम्झाउनुहुन्छ!
मेरो भव्यबुबा, तिमी पनि मेरो मेमोरीमा आउँदैनौ! |
आंखों देखा दृश्य |
अन्य |
गोरी बैठी छत पे केशन को सुलझाऐ !
नीचे बैठे सारे फुक्का यौवन को देख देख लुलआऐ !
कुछ देर में गोरी केशन को गुंधनाये !
दें के केशन को झटके पे झटका गोरी नीचे उतरीं जाऐ !
फुक्का सारे कूकर से हफियाऐ !
राजेश कुमार यादव |
आदर |
अन्य |
तपाईं तपाईंलाई एक सेकेण्डबाट पहिचान गर्नुहुन्छ
जीवन कठिनाईबाट भरिएको छ यो सजिलो बनाउछ
हामी एक जोडी को आमाबाबुलाई पनि सम्मान गर्दछौं
वृद्धहरूको छोरालाई पनि आदर गर्नुहोस् |