गजल
Pankaj Kumar Yadav
गजल
अहीँके पएबाक आसमे
मन उडै छल हमर आकासमे
समयक हावा एहन चललै
हेरागेल नेह हमर बतासमे
घुरि नहि एलौं एखन्धरि
हम खोजैछी एखनो अपन सासमे
अहीँक प्रेममे मन हराएल अछि
शरीर बदलि गेल अछि लासमे
जऽ याद आएब हम कहियो अहाँके
हमरा खोजिलेब एहि खुल्ला आकासमे
@पंकज_ कुमार _यादव
शहिदनगर नगरपालिका-9
गोठकोयल्पुर(धनुषा)नेपाल
हाल-दोहा कतार
कता
Pankaj Kumar Yadav
#कता
प्रेम करैत रही बार बजे राईत मे
भैया ओकर सुईन लेलक सुसुवाईत मे!!
मारैत मारैत कुरता पूरा फाईर देलक
प्रेम के चढल सभ नशा उताईर देलक!!
@पँकज कुमार यादब
कता
Pankaj Kumar Yadav
कता
हम पत्थर पत्थरमे आहाँक नाम लिख क आईल छी
अहाँक सँग हमर नाम खुले आम लिख क आईल छी
अहाँ कहै छलियै हमर जोरी रामसिताके जेहन लगैछै
ताहिँ सँ छाती भितर मे श्री राम लिख क आईल छी
@पँकज_कुमार_यादव
कता
Pankaj Kumar Yadav
#कता
पानी नै ई शराब छै हमरो पिअ दिअ
प्रेम के नसा चढाक हमरो जिअ दिअ!!
जिनगी के मज्जा खाली उहे सब लुटतै
बिदेशियो सब के कनि मजा लिय दिअ!!
@पँकज कुमार यादब
कता
Pankaj Kumar Yadav
#कता
जीवन जिनाई आसान नै होई छै
बिना संघर्ष के कोई माहान नै होई छै !!
जब तक नै लगै छै हथौरी के चोट
पाथरो सहजे भगवान नै होइछै!!
@पँकज कुमार यादब
कता
Pankaj Kumar Yadav
#कता
चक्कु चलबैछी हम धिरे धिरे
खैनी कटै छी हम धिरे धिरे
आ आ रे खैनी चुनौटी मे जो,ठोरमे धरैछी हम धीरे धीरे
@पँकज कुमार यादब
कता
Pankaj Kumar Yadav
#कता
अहाँके रुप देख पृया मुहक आबाज हरागेल
कहिँ नै सकलौ हमर ठोर हिल क ठरागेल
रहिगेल खाली मोनक कागज जे सँंग रहे
हम लिख चाहली किछु प्रेम मुदा हाथ घरागेल,
@पँकज कुमार यादब
कता
Pankaj Kumar Yadav
#कता
मोटकी फसलै मोटका के जाल मे
चुम्मा लेने छलै मोटकी के गाल मे
प्रेममे पागल रहै परहै कोलेज मे
पेट मे बच्चा भेलै सोल्हे साल मे।
@पँकज कुमार यादब
कता
Pankaj Kumar Yadav
#कता
मोन होईअ हमरा चैल जैती आब घर
हमरा कनियाँ के राईतमे उठै छै लहर
फोन करैअ सँगिता हमरा उठैअ लहर
अकरा ल क चैल जैती जन्कपुर शहर।
@पँकज कुमार यादब
कता
Pankaj Kumar Yadav
कता
#बिना पिय बालाके कि थाह पियके मज्जा,
विसकि ब्रान्डी के सङ्ग जियके मज्जा,
कनि मनि पिक जे सुईत रहै छै,
टुट्ल मोन केर सियके मज्जा!!
@पँकज कुमार यादव
कता
Pankaj Kumar Yadav
#कता
आब उ फोन,म्यासेज करत तैके कोनो आसो नै हा,
हमरा नजैर स बाहर भगेल ओकर बिशबासो नै हा,
आब उहो कतौ अपन तन,मन,वचन केकरो दैत होतै,
आब घुरी उ हमरा सँग एथिन ता के आभाषो नै हा,
@पँकज_कुमार_यादब
क
Pankaj Kumar Yadav
चाईर आना सँ
सुरु कएने ब्यापार
एकटा गरिब आदमी
आइ जन्कपुरके
भानु चौकमे
चाईर आनाके जमिनमे
चाईर तल्लाके घरमे
चैर तल्ला प रहि रहल छैक।
मुदा तैयो
भीतरसँ खोकला भेल ओ आदमी
दिनानुदिन गरिब भरहल छै।
पँकज कुमार यादव
गजल
Pankaj Kumar Yadav
#गजल
धुम धाम सँ बाजा बजाक आईब प्रीया,
बरियाती सङ्ग नटुवा नचाक आईब प्रीया,
गरिब छी तै बात के कोनो चिन्ता नै करु,
सौसे देह गहना लगाक आईब प्रीया,
कनि और ईन्तजार करु हमर प्रीया,
सुहार राईत के घर सजाक आईब प्रीया,
आब हमरा सँ कोनो गल्ती नै हेत प्रीया,
कैल्हा गल्ती सब के बिसराक आईब प्रीया,
अदि एते कहलो पर बात नै मानव प्रीया,
त जबर जस्ती भगाक ल जाईब प्रीया!
@पँकज_कुमार_ यादब
शहिदनगर नगरपालिका-9
गोठकोयल्पुर(धनुषा)
हाल:-दोहा/कतार(मरुभुमी).
कता
Pankaj Kumar Yadav
सपना मे अहाँ के हम दिन राईत देखैछी,
निन्द नै होईअ भैर राईत टक टक तकैछी,
नै बिसरै छी ओ पल स्कुलमे सँगे पढैत रही,
अबै छी घर आब भेटब अहाँसँ सएह बात सोचैछी!
@पँकज कुमार यादब
गजल
Pankaj Kumar Yadav
#गजल
हम जोगी भऽ गेली अहीँक कारण सँ
हम रोगी भऽ गेली अहीँक कारण सँ
अहीँक प्रेममे डुबल रहि राईत दिन
हम भोगी भऽ गेली अहीँक कारण सँ
अहीँक खुसीक लेल बेच देलि यै खेत
हम योगी भऽ गेली अहीँक कारण सँ
मधुर होट्क लल्का जे लाली रहे
हम लोभी भऽ गेली अहीँक कारण सँ
लेकिन खुसी लगैय एगो बात के
हम सहयोगी भऽ गेली अहीँक कारण सँ
@पँकज_कुमार_यादब
शहिदनगर नगरपालिका-9
गोठकोयल्पुर(धनुषा)
हाल:-दोहा/कतार(मरुभुमी).
तिमी मुस्कुराई रहदा
Amar Saud
आशुको सागरमा म डुबि रहदा
बगेनौ तिमी दु:खले,
किनारा नियाल्दै म पौडी रहदा ।
हाथ दिएनौ म थाक्दा पनि
विषाद भएन तिमिलाई,
किनारा बाट हेरी रहदा।
कहिले म डुबेको ।
कहिले म पौडी रहेको ।
हो,
शयद पहिरो र बुट्यान थिए म,
पुरीय तिम्रै समिपमा ।
तर,
प्रफुल्लित हुनेछु म,
हिमाल झै तिमी मुस्कुराई रहदा ।
त्यो अतीत खोज्दै छु
Amar Saud
डुबेका मायाको झन्कार हरुमा,
स्नेहको मीठो पृत खोज्दै छु ।
हास्न विर्सियका ओठहरुमा,
खुशीको कुनै रीत खोज्दै छु ।
हारी सकेको यो दुनियामा,
एउटा अनौठो जित खोज्दै छु।
म संगै मेरो छाया बनी हिड्ने,
एउटा सच्चा मीत खोज्दै छु ।
विति गयो जुन समय तेसमा,
यादहरुको त्यो अतीत खोज्दै छु ।
-उदाश विवश
सन्देश
तिम्रो प्रेम
पल पल मै रूनेछु खुसि सँगै हास्नु तिमि 2
मेरो उमेर लागोस तिमिलाई जुनि जुनि बाच्नु तिमि
झुटो ठानि मेरो मायाँलाई घृणा गरे पनि
सधा भरि उसकै लागि चोखो मायाँ साच्नु तिमि
डिलिट गरे फाल्नु बरू मेरा ति रेकड अनि म्यासेजहरू
छाति भित्र उसकै तस्बिर सजाएर राख्नु तिमि 2
प्रेम बः पुन
भेरि गंगा नः 4 छिन्चु सुर्खेत
Email: [email protected] Fb:[email protected]
ph:9868977249,9815561203
गजल
Dhungel Krish
हर रात निदरिमा सपना म एउटाइ देख्छु ।
जिउदो लास भइ चितामा आफैलाइ पाउछु ।।
टाडा सेतो साङि , डाग बत्ति लि हात्मा कोइ रोइ रहेको सुन्छु ।।।
निहाली हेर्दा आफैलाइ प्रेमिका पर पुरुष को अङालोमा पाउछु ।
जुरुक्क उठि प्रस्न तेर्साथे उस्लाइ
कुन चरित्र हो यो तेरो आईमाई ??
मुसुक्क हासी भनी उस्ले
इस्त्री को चरीत्र सयम
भगवान् ले त बुझ्देइन्न
के बुझछास त मनुसेले ।।