Rajesh Kumar Yadav

न जाने पास कौन था


न जाने पास कौन था
दूर तक मैं भी गया रोता हुआ था
यही गुमा हुआ कई बार था
रास्ता ये देखा हुआ था
कभी और कश्ती निकालेंगे हम
अभी अपना दरिया ठहरा हुआ था
जहां जाएं सर पर यही आसमां था
न जाने कहाँ तक फैला हुआ था
अंधेरा तेरी यादों की परछाई का था
दिन ढलते ही तमाशा हुआ था
न देखो तुम इतने नाज़ से आईना
आंखों का आईना भी शरमाया हुआ था
राजेश कुमार यादव

#अन्य