Pankaj Kumar Yadav

गजल


गजल
भगबान समैझि ओकरे हम फुल चढाबैत रही,
ओकरे ईसारा पर डेग अगाडि बढाबैत रही,

ओ पत्थर छलै से बात कोई कहलकै कहाँ,
पथरे के आगु सदिखन दिया जराबैत रही,

अपन स्वार्थ लेल ओ हमरा गुलाम बनाबैत गेलै,
बिशवासक सहारे कापीमे गुलाब पठाबैत गेलै,

हम जानी नै सकलौ ओकर असली रुप गलती
हमरे रहै,
ते त ओ कखनो लक्ष्मी,कखनो स्वरस्वती बनि
दिल तरपाबैत गेलै,

एखन सोचैछी ओकर रुप मन बहैक जाईय,
हमर भितरी करेजा कुहैक जाईय,

आब भेटती कि नै अई जिनगीमे फेर सँ,
ईहे सोईच सोईच आत्मा तरैप जाईय,

@पँकज_कुमार_यादब
शहिदनगर नगरपालिका-9
गोठकोयल्पुर(धनुषा)
हाल-दोहा/कतार

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