Title |
Category |
Gajal |
घिणा |
अन्य |
ढलकयाे जाेभान ढलकयाे नभनिदेउ
तिमाे काेठा मा अाउछु जानछु
पलकयाे नभनिनभनिदेउ।। |
गजल |
माया / प्रेम |
३५ देखि ४० पुगे दारि मेराे अाकाई छहिन
श्रीमती त ३ अाेठि छिन बिहे मेराे भाकाई छईन ।। |
तिमृाे दुख |
बिछोड |
तिमी हिन्ने बाटाे भरि फूल लाई फूल थियाे रे
तिमी हासने हृदयमा चाेटाई चाेटले भरिएकाे थियाे रे संनशार भरि खाेजि हिने कहाँ पाउन सकिन ।
नचाहादा नचादै सपनिमा भेटन छाेडि सके
तिमिले देखाऐकाे माया कहाँ भुलन सकछुर
सपनिमा आयउ गयाउ थाहा पाउन कहाँ सकछुर।।।
जसरिपाे बाचि हिनेउ यसरी कहाँ बाचन सकछुर। |