Title | Category | Gajal |
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janak thakurathi | माया / प्रेम | राई साल्लि धुपिका दाउरा बल्ला धमस्कार। सर्बपथम सबै लाई मेरो नमस्कार।। कालि को लरकने माछो काचै खाउकि । सुवालाइ सम्झेका बेला जहर खाउकि गोलि।। भात पकाउने तमा ताउलि पसकने पसेरि। सम्झना शानुकै आउछ मन बुझाउ कशरि।। |
जनक ठकुराठी | अन्य | दुइ अछेर को शुभ हुन्छ तिन अछेरको कामनि तिम्रो लछ्य पुरा होस यहि नै सुभ कामना |