कुमार  अरविन्द
कुमार अरविन्द

Title Category Gajal
जख्म दबाकर मुश्काता हूं उदास गजल जख्म दबा - कर मुश्काता हूं | चुप रहकर मैं चिल्लाता हूं | मेरी बातें खुल न जाये | बातों से ' मैं बहकाता हूं | गहरी चोटें बोल रही हैं | खुद के खातिर लड़ जाता हूं | तुम सब अपना छोड़ो यारों | झूठा खुद को बतलाता हूं | सारी ख्वाहिश ' छोड़ न देना | अरविन्द तुम्हे समझाता हूं | ❥ कुमार अरविन्द
हुआ हूं खाक यहां रह गया धुआं मेरा अन्य गजल - कुमार अरविन्द हुआ हूँ ख़ाक यहां रह गया ' धुआं मेरा | किसी में दम है तो रोको ये कारवां मेरा | सभी ये कहते है अक्सर ज़मीन मेरी है | कोई ये क्यों नही कहता है आसमां मेरा | बदन से रूह तलक मैं ही बस गया तुझमें | मिटायेगा तू कहाँ तक बता निशां मेरा | मेरे लबों से हँसी तू मिटा न पायेगी | ए ज़िन्दगानी ले कितना भी इम्तिहां मेरा | नहीं है खौफ कि दुश्मन जहां हुआ कैसे | कि अब जहां का खुदा खुद है मेहरबां मेरा | कई हज़ार फफोले हैं पावँ में लेकिन | खुदा गवाह ' अभी अज़्म है जवां मेरा | ये और बात कि मेरी ज़बान कट जाये | मगर बदल नही सकता कभी बयां मेरा | फकत यही न कि तुमसे ये दिल लगा बैठे | रोशन तुम्ही से है सारा ये आशियां मेरा | वो दिल्लगी हुई अरविन्द खत्म सारी पर | ये दिल भी तो नही भटका कहाँ कहाँ मेरा |