स्याङदेन कवि
प्याराे जन्म भुमि
गजल
प्याराे जन्म भुमि घर छाेडेर अाँउदा रुऐ म|
मरु भूमि बसाइँ सारेर अाँउदा रुऐ म ||
रहर त कहाँ हाेर बाध्यताले अाकाे हु|
बाउ अामाकाे माया छाडेर अाँउदा रुऐ म||
झल झली याद अाउछ गाउमा सङ्गै डुलेकाे|
साथीभाइ काे माया मारेर अाँउदा रुऐ म||
कती राम्रो कुम्भकार्ण झनै राम्रो साँघु बाजार|
गाउँमै बस्ने रहर याे कर्मले हारेर अाँउदा रुऐ म||
सुख दुख यहीँ हाे भनी फुल फुलाकाे थिऐ|
कलिलाे फुल काेपिलामै चुटेर अाँउदा रुऐ म||
स्याङदेन कवि