Pankaj Kumar Yadav

रचना


#रचना#
✍️पँकज कुमार यादव

लैला कऽ दिल लऽकऽ मजनु कोना भाईग गेलै!
सुतल रहै समाज आब समुच्चा जाईग गेलै!!

बेर बेर पुछैत छलै ओकरे सँग हम बिबाह करब!
हुन्कर पापा तामस सऽ कहै हम जहर खाकऽ मरब!!

जखन उईर गेलीह ओ दुनुटा बैन कऽ मजनु /लैला!
आब परिबार दुआ करैत अछी सलामत रहे हमर छैला!!

लैला कऽ बाबू जी दरखास पेस कैल्कै जा कऽ थानामे!
आब हुन्कर दुनुक जोरी अमर रहतै ईतिहासके पानामे!!

घर सँ बाहर बहुत दुर ओ दुनु बहुत खुसी सँ रहैत हेतै!
सबटा दु:ख सुख एक दोसर सँगे बाईट ओ सहैत हेतै!!

हुन्का सभक चिन्ता जुनि करियौ यहाँ सब परिबार!
ओ सब मिटएबा मे लागल छै समाजक अत्याचार!!

अपना सभक समाजमे दहेज दऽकऽ बिबाह करैत छैक!
किछु दहेजक कमी कऽ कारने सँ बेटीक चाँप परैत छैक!!

आगि दहेजक देखियौ अपना समाजमे कोना पजैर रहल छै!
आ एहि आगिमे सबठाँ सबहक बेटी तरैप कऽ जरि रहल छै!!

बेटी होईत अछि जगके तारा और नीर गगनमे चमकैत अछी!
जाही परिबारमे बेटी अछी वो  फुल स बेसी गमकैत अछि!!

#कता
✍️पँकज कुमार यादव
दहेज लऽ भेलै बिबाह ओ बेटी आईगमे जैर गेलै!
हम प्रेम बिबाह केलौ कि समाजक ईजत सैर गेलै!!
आनहर हब अपन समाज अपन केकरो काबुमे नै!
फुटल डोल बनि पिट कहैअ फल्नाके बेटी उर हैर गेलै!!

#कता
✍️पँकज कुमार यादव
कहादुन ओ दुनु भाईग गेलैअ!
नै जानि ओ सब कोन सपना साईज गेलैअ!!
उमेर सँ  छलै ओ मात्र चौदऽ बरख के !
कोना ओकरा जबानीमे आईग लाईग गेलैअ!!

#कता
✍️पँकज कुमार यादव
ई हाबाबिहाईर कि करतै से कोई नै जानै छै!
देख करतुत हिन्क लोक सब बहुत कानै छै!!
बेर-बेर आईब लोकक त्रास बढा दैत छैक ई!
लोक करै लाख गोहरिया तैयो ई नै मानै छै!!

#कता
✍️पँकज कुमार यादव
जहिया सँ हमरा जिन्दगीमे वो आयल छै!
ओकरे दर्द सँ भरल दिल हमर घायल छै!!
अबै नै चैन हमरा दिन और नै राईत्मे!
रोज सपनामे खनकाबै वो पाअल छै!!

#कता
✍️पँकज कुमार यादव
भागिक ओ बंस मे दाग लगा देलकै!
बाबू माईके बहुत बढका सजा देलकै!!
भा ग' सऽ पहिने सभ अपन लगैत छलै!
आब ओ त रिस्तेदारो केर दुर भगा देलकै!!

#कता
✍️पँकज_कुमार_यदब
हमरा  सँग  दिल  अहाँ  लगाउन!
धङकनके आबाज अपन सुनाउन!!
प्रेमी छी अही केर हम  प्रिय् !
बनि दुल्हिन हमरा घरमे आउन!!

#कता
✍️पँकज_कुमार_यदब
बात नै क र चाहै छै ओकरा बोर लगै छै!
आन भेलै अपन आ जन्मदाता चोर लगै छै!!
अपने भुखले रैह क ओकर भुख मेटेलकै!
ओ माई बाप आई ओकरा कठोर लगै छै!!

#कता
✍️पँकज_कुमार_यदब
रिमझिम बरसैअ पानी बहुत याद अबैअ!
नित दिन भिजैअ ओहो से समाद अबैअ!!
भिजल पानीमे  मोन सँ धान रोपैत हेतै!
ओहो, राति सपनामे ओकर आवाज अबैए!!

#कता
✍️पँकज_कुमार_यदब
हे प्रभु ई तो कि केलहो!
सबके केहन सजाय देलहो!!
सब मरैछै बाढिक पलार सँ सगरो!
कोना क एहन कठोर भेलहो!!

#कता
✍️पँकज कुमार यादव
दहेज लेनाई भिख भऽ गेलै!
भाईग गेलै से निक भऽ गेलै!!
एकदोसर सँ बहुत प्रेम करै छलै!
समाजमे ई बात लिक भऽ गेलै!!

#अन्य