कुमार अरविन्द

जख्म दबाकर मुश्काता हूं


गजल

जख्म दबा - कर मुश्काता हूं |
चुप रहकर मैं चिल्लाता हूं |

मेरी बातें खुल न जाये |
बातों से ' मैं बहकाता हूं |

गहरी चोटें बोल रही हैं |
खुद के खातिर लड़ जाता हूं |

तुम सब अपना छोड़ो यारों |
झूठा खुद को बतलाता हूं |

सारी ख्वाहिश ' छोड़ न देना |
अरविन्द तुम्हे समझाता हूं |
❥ कुमार अरविन्द

#उदास