गुण बहादुर सुनुवार
भुलेर गयौ
भुलेर गयौ या खुलेर गयौ
जवानी का नौला आभास झुलेर गयौ ।
जिन्दगी जिबन्त भन्थौ आदि बाटो मै भुलेर गयौ
सम्झना मै रुवाइ रुवाइ जवानी फुटेर गयौ ।।
भुलेर गयौ या खुलेर गयौ
जवानी का नौला आभास झुलेर गयौ ।
सारंश मात्र भो माया मा के टिप्पणी दियर गयौ
के नशा कि फशा को पाशो मा मलाइ मदहोशी को नशा दियर गयौ ।।
एकल कातिच जेठा सुरेश सुनुवार हाल कुबेत