Mahesh Chauhan Chiklana
कविता
.....भीगी हुई.....
उस दिन तुम,
भीगी हुई,
अपनी माँ के साथ,
सिर पर पानी का मटका उठाए,
आ रही थी ।
तेरे भीगे हुए बाल,
चेहरे पर चिपके हुए से,
कितने प्यारे लग रहे थे...
भीगे हुए कपड़ो में तेरा बदन,
उफ !
मुझे सीने पर हाथ रखना पड़ा ।
उस दम तुमने मेरी तरफ,
तिरछी निगाह से देखकर,
मेरे दोस्तों मेरा,
कितना मान बढा दिया था ।