Mahesh Chauhan Chiklana
ग़नुक
----''मेरे गुम होने की रिपोर्ट"----
घर वालों को उम्मीद
कि कमाकर दूंगा
पत्नी को उम्मीद
कि प्रेम दूंगा
विभाग वालों को उम्मीद
कि ईमानदारी से करूँगा नोकरी
सब लगाए बैठे हैं उम्मीदें मुझसे
मुझसे क्यूँ नहीं पूछा जाता -
कि मेरी क्या है उम्मीदें ?
सबकी उम्मीदों पर
खरा उतरने की कोशिश में
मुझसे से 'मैं' कहीं खो गया...
कभी जाओ थाने की तरफ
तो मेरे गुम होने की
रिपोर्ट लिखवा आना...
-------- महेश चौहान चिकलाना