Mahesh Chauhan Chiklana
कविता
कैसे दी मैंने उसको अँगुठी
इतराके वो कहती होगी
सहेलियों से छुप - छुपकर
बातें मेरी करती होगी
इतराके वो कहती होगी
मोहल्ले में किसी से तो पुछती होगी
मेरा मकां , मेरी गली
सबसे छुपाकर नाम मेरा
मेहंदी में वो लिखती होगी
इतराके वो कहती होगी
नाम में मेरे अपना नाम मिलाकर
सहेलियों से पुछती होगी पहेली
सबसे जुदा वो चँचल लड़की
मोहल्ले में सबसे हसीं वो अकेली
इतराके वो कहती होगी
---- महेश चौहान चिकलाना