Mahesh Chauhan Chiklana
ग़नुक
कुछ इस तरह करती थी वो मोहब्बत मुझे
छोटी - छोटी बातों पे लिखती थी खत मुझे
दोस्तों को नाज़ था मुझपे और मुझे उसपे
लगने लगी थी वो मेरी मेहरबां किस्मत मुझे
अकेले में सोचूँ उसे,लिखुँ उसे,मुस्कुरा दूँ
उससे ही हुई थी ये अजीब आदत मुझे
तमन्ना थी,कभी रुठूँ उससे वो मनाए मुझे
मगर हुई कहाँ उससे कभी कोई शिकायत मुझे
कानों में गूंजती है आज भी उसकी चूड़ियाँ
जीने को उकसाती बहुत उसकी चाहत मुझे