Mahesh Chauhan Chiklana

ग़नुक


खिड़की की ओट से मुझको ताकती आँखें
मुझको बहुत याद आती है तेरी आँखें

भूला यारों का चेहरा, अपने भी याद नहीं
जब से मिली है तेरी आँखों से मेरी आँखें

किसी कोरे कागज - सा नज़र आता है
चाँद पे अक्सर तुझे लिखती है मेरी आँखें

न बहार से जी बहलता न जश्ने त्यौहार से
जब तक तुझको देखती नहीं मेरी आँखें

#माया / प्रेम