Mahesh Chauhan Chiklana
ग़नुक
बोलती हो झूठ, कहती हो मुझे प्यार नहीं ।
देखकर मुझे जुल्फ झटकना,क्या ये प्यार नहीं
आता जो दिखूं रस्ते में कभी,मोड़ मुड़ जाती हो
जाते हुए मुझे देखना , क्या ये प्यार नहीं
बताती हो सहेलियों को अक्सर मेरी बातें
बातों पे मेरी हँसना , क्या ये प्यार नहीं
दिवाना शहर में तेरा बता कौन नहीं
सताती हो बस मुझे ही,क्या ये प्यार नहीं