Rajesh Kumar Yadav

एक गीत मुझे


एक गीत मुझे लिख लेने दो यह बात मेरी तन्हाई की
तुम क्या जानो तुम क्या समझो बात मेरे हरजाई की
अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की
तुम क्या जानो तुम क्या समझो बात मेरी तन्हाई की
बो शाही घोल रहा था वक्त के बहते दरिया में
मैंने आंख झुकी देखी है आज उसी हरजाई की
वो रात ना जाने क्यों डूब गई वक्त से पहले तन्हाई में
उड़ते उड़ते आस का पंछी उफक उफक मैं डूब गया
देख आज रोते-रोते बैठ गई आवाज उसी हरजाई की
राजेश कुमार यादव

#बिछोड